हे मात मेरी, हे मात मेरी (2)
कैसी ये देर लगायी हे दुर्गे हे मात ……. भवसागर में घिरे पड़े हैं प्रमादी ग्रह में गिरे पड़े है (2) मोह आदी जालों में जकड़े पड़े हे हे मात मेरी ……. चरण कमल की नौका बना कर माँ हम पार होगे ख़ुशी मना कर यमदूतों को मार भगा कर हे मात मेरी ……….
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